अमेरिका के एक साधारण परिवार में जन्मे एक लड़के ने प्राइमरी और बेसिक एजूकेशन लेने के बाद पंद्रह साल की उम्र में पोर्टलैंड के रीड कॉलेज में दाखिला लिया। किताबी ज्ञान से कहीं ज्यादा मशीनों में खोये रहने वाले इस लड़के को कॉलेज ने छह महीने के अंदर निकाल बाहर कर दिया। उस समय उस लड़के को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे बस वो मशीनों से खेलता गया और आगे चलकर 350 अरब डालर का साम्राज्य खड़ा कर दिया। यह कहानी है एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की, जिनका बुधवार की रात में निधन हो गया।
दुनिया को आईफोन, आईपैड, आईपॉड समेत ढेरों गैजेट देने वाले स्टीव के निधन पर मानों पूरी दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई। उनकी मौत की खबर के 10,000 ट्वीट प्रति सेकेंड पड़े। जरा सोचिये आखिर इस व्यक्ति में ऐसा क्या था कि लोग उन्हें इतना चाहते थे। सही मायने में देखा जाये तो स्टीव ने दुनिया को वो खुशी दी, जिसके बारे में किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
संचार के माध्यम को सशक्त बनाने वाले स्टीव का 56 साल का जीवन भी उतार-चढ़ाव से भरा हुआ था। अमेरिकी उद्यमी एवं आविष्कारक स्टीव जाब्स ने पर्सनल कंप्यूटर, संगीत और मोबाईल फोन की दुनिया का काया कल्प कर दिया। स्टीव जाब्स- जिसने प्रौद्योगिकी की बदसूरत दुनिया को खूबसूरत बना दिया। जाब्स पिछले सात साल से अग्न्याशय के कैंसर से जूझ रहे थे। कंप्यूटर एनिमेशन कंपनी पिक्सर की बेशुमार सफलता के पीछे भी उनका हाथ रहा। इस कंपनी ने टॉय स्टोरी और फाइंडिंग नीमो जैसे लोकप्रिय उत्पाद प्रस्तुत किए। खास बात यह है कि स्टीव ने अपने जीवन में कभी भी कंप्यूटर डिजाईन नहीं किया।
24 फरवरी 1955 को जन्मे स्टीव पाल जाब्स को पाल और क्लैरा जाब्स ने गोद लिया था तथा उन्होंने उनका पालन पोषण किया। उनके असली माता पिता का नाम जोन कैरल शीबल और अब्दुलफतह जैंदाली था। जैंदाली सिरिया से आए छात्रा थे जो बाद में राजनीतिशास्त्रा के प्रोफेसर बने। वित्त और रीयल एस्टेट में काम करने वाले पाल जाब्स बाद में अपने मूल कारोबार मशीने ठीक करने से जुड़ गए और अपने परिवार के साथ सैन फ्रांसिस्को पैनिंजुला से माउंटेन व्यू और 1960 में लास एल्टास चले गए। बचपन से ही स्टीव जाब्स की रुचि इलेक्टानिक्स में थी।
वह आठवीं कक्षा में ही थे और एक दिन हिस्से पुर्जो को जोड़ कर फ्रीक्वेंसी काउंटर बना रहे थे, तो उन्होंने पाया कि उसका कोई हिस्सा नहीं मिल रहा है। उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए पूरे विश्वास के साथ एक अन्य प्रसिद्ध कंपनी ह्यलेट-पैकार्ड के सह संस्थापक विलियम ह्यूलेट को फोन कर दिया। इसी 20 मिनट मिलन की बातचीत के आधार पर ह्यूलेट ने बालक स्टीव के लिए कुछ यंत्रा उपकरण जुटा कर एक थैला तैयार किया।
वह उससे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने जाब्स को गर्मी की छुट्टियों के दौरान उन्हें अपने यहां नौकरी देने की भी पेशकश कर दी। जाब्स जब क्यूपर्टिनो के होमस्टीड हाईस्कूल की पढ़ाई भी कर रहे थे तो उनकी मुलाकता स्टीफेन वोज्निएट से हुई। उनके साथ मिलकर उन्होंने 1976 में एप्पल की स्थापना की।
सौजन्य से : thatshindi.oneindia.in
दुनिया को आईफोन, आईपैड, आईपॉड समेत ढेरों गैजेट देने वाले स्टीव के निधन पर मानों पूरी दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई। उनकी मौत की खबर के 10,000 ट्वीट प्रति सेकेंड पड़े। जरा सोचिये आखिर इस व्यक्ति में ऐसा क्या था कि लोग उन्हें इतना चाहते थे। सही मायने में देखा जाये तो स्टीव ने दुनिया को वो खुशी दी, जिसके बारे में किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
संचार के माध्यम को सशक्त बनाने वाले स्टीव का 56 साल का जीवन भी उतार-चढ़ाव से भरा हुआ था। अमेरिकी उद्यमी एवं आविष्कारक स्टीव जाब्स ने पर्सनल कंप्यूटर, संगीत और मोबाईल फोन की दुनिया का काया कल्प कर दिया। स्टीव जाब्स- जिसने प्रौद्योगिकी की बदसूरत दुनिया को खूबसूरत बना दिया। जाब्स पिछले सात साल से अग्न्याशय के कैंसर से जूझ रहे थे। कंप्यूटर एनिमेशन कंपनी पिक्सर की बेशुमार सफलता के पीछे भी उनका हाथ रहा। इस कंपनी ने टॉय स्टोरी और फाइंडिंग नीमो जैसे लोकप्रिय उत्पाद प्रस्तुत किए। खास बात यह है कि स्टीव ने अपने जीवन में कभी भी कंप्यूटर डिजाईन नहीं किया।
24 फरवरी 1955 को जन्मे स्टीव पाल जाब्स को पाल और क्लैरा जाब्स ने गोद लिया था तथा उन्होंने उनका पालन पोषण किया। उनके असली माता पिता का नाम जोन कैरल शीबल और अब्दुलफतह जैंदाली था। जैंदाली सिरिया से आए छात्रा थे जो बाद में राजनीतिशास्त्रा के प्रोफेसर बने। वित्त और रीयल एस्टेट में काम करने वाले पाल जाब्स बाद में अपने मूल कारोबार मशीने ठीक करने से जुड़ गए और अपने परिवार के साथ सैन फ्रांसिस्को पैनिंजुला से माउंटेन व्यू और 1960 में लास एल्टास चले गए। बचपन से ही स्टीव जाब्स की रुचि इलेक्टानिक्स में थी।
वह आठवीं कक्षा में ही थे और एक दिन हिस्से पुर्जो को जोड़ कर फ्रीक्वेंसी काउंटर बना रहे थे, तो उन्होंने पाया कि उसका कोई हिस्सा नहीं मिल रहा है। उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए पूरे विश्वास के साथ एक अन्य प्रसिद्ध कंपनी ह्यलेट-पैकार्ड के सह संस्थापक विलियम ह्यूलेट को फोन कर दिया। इसी 20 मिनट मिलन की बातचीत के आधार पर ह्यूलेट ने बालक स्टीव के लिए कुछ यंत्रा उपकरण जुटा कर एक थैला तैयार किया।
वह उससे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने जाब्स को गर्मी की छुट्टियों के दौरान उन्हें अपने यहां नौकरी देने की भी पेशकश कर दी। जाब्स जब क्यूपर्टिनो के होमस्टीड हाईस्कूल की पढ़ाई भी कर रहे थे तो उनकी मुलाकता स्टीफेन वोज्निएट से हुई। उनके साथ मिलकर उन्होंने 1976 में एप्पल की स्थापना की।
सौजन्य से : thatshindi.oneindia.in
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